मेरा नाम विद्या है। ये मेरी दूसरी कहानी है। ये भी एक सच्ची घटना से जुडी हुई है। बात उनदिनों की है जब मई कॉलेज मे थी। वो एक लड़को का कॉलेज था। बात चैरिटी के ड्रामा की आई। तो सब ने अपना अपना पात्र चुनलिया बचगया लड़की का रोल जिस क लिए पर्ची डाली गई। उस में मेरा नाम आया। मुझे उस लड़की का चरित्र निभाना था। उस चरित्र का नाम संध्या था ,पर मै यह पर विद्या नाम का प्रयोग करुँगी। वो चरित्र एक अंधी लड़की का था। जो समाज की बुराई से अक्ली लड़ती है।
इस चरित्र के लिए मुझे मेरे कॉलेज ने पूरा सहयोग दिया। जो महिला टीचर थी जिन का नाम रेनू था उन्होंने मुझे लड़कियों के बारे मे बहुत कुछ बताया और सिखाया। मै आप को अगले भाग में मेरी लड़के से लड़की बनने की कहानी को बताऊगी। जिस में रेनू जी का बहुत बड़ा योगदान है। मै विद्या आप के सामने अपनी दुसरी कहानी लेकर आई हु । मेरा सफर शरू हो चूका था। पहले मई काफी घबराई हुई थी। तो रेनू जी ने कहा की घबराने की कोई बात नहीं। लड़की होना बहुत बड़ी बात है। मैने कहा की मैडम जी मुझे लड़की के बारे में कुछ नहीं पता। जैसे की वो क्या सोचती है। कपड़े कैसे पहनती है। और उनकी भावनाओ के बारे मे तो मैं बिलकुल अनजान हूँ। मैं इतना बड़ी चुनौती कैसे करुँगी। तो रेनू जी ने कहा की सब से पहले तुम खुद को लड़की समझो दूसरा आज से तुम मेरे साथ रहोगी। तुम्हारा नाम विद्या होगा। आज से सभी कॉलेज मे तुमको विद्या कहेगे। रेनू मैडम ने कॉलेज मे सब को कह दिया की आज से इसका नाम विद्या है। ये अब से लड़की बनके मेरे साथ रहेगी। रेनू मैडम ने सब से पहले मेरे साइज की ब्रा, पैंटी, समीज , खरीदी। फिर सूट सलवार व साडिया ब्लाउज के साथ खरीदी एक हिप साइज की विग और कमर साइज तक की विग खरीदी। साथ में मेकउप का समान खरीदा। आखिर मे सिलिकॉन बूब्स खरीदे जिन का साइज34 बी था। रेनू मैडम ने कहा की सारी खरीदारी हो गई कुछ चीजे रहती है जो की जरूरी होती है एक लड़की के लिए। कान छेदन व नाथ छेदन और तुम्हारे लिए चुडिया। मैडम मुझे एअक सुनार के पास ले गई और उसने मेरे नाक और कान दोनों छेद दिए. सीधे हाँथ की तरफ नाक छिदी थी जिस मे सोने की नोसपिन थी और कानो मे मोती थे। मैं और रेनू मैडम दोनों उन के घर करीब श्याम को 8 बजे पहुंचे वहाँ उन के पति श्री देवेंदर जी थे। जिन्हे मैं सर जी कहती थी। वो बोले आगई विद्या। मैने कहाँ की जी सर। देवेंदर जी ने कहा आज से तुम्हारी ट्रेनिंग शरू। रेनू मैडम ने कहा की अभी थो बेचारी आई है। कल से शरू करते है। ओके विद्या। मैं बोली जी मैडम।
अगले भाग मे मेरी ट्रेनिंग के साथ कठिन परीक्षा भी हुईरेनू जी ने मेरी शादी की बात करी तो मुझे शर्म आ गई और मैं अपने कमरे में चली गई। अब तक मै खुद को लड़की समझने लगी थी । 3 महीने बाद शो था मै अपने शो में व्यस्त थी। कि रेनू जी ने मुझे तैयार रहने को कहा। मैने एक नीले रंग की साडी पहनी। मेरे को रेनू जी ने रेडी किया।और मुझे चाय लाने के लिए बोली। मै चाय लेकर आई नीचे आई थो देखा की रोहन जो रेनू जी का भतीजा था। वो मुझे देखने आया था। रोहन देख ने लायक लड़का था रोहन एक गे था। उसको एक क्रॉसड्रेस्सेर दुल्हन चाहिए थी। ये बात रेनू जी को पता थी। इस लिए मेरी और रोहन की शादी हो पाई। वो टॉप था मैं बॉटम। . वो बहुत ही स्मार्ट लड़का था। . रेनू जी ने मुझ से कहा की लड़का पसंद आया. मैंने हां कर दी. फिर हमारी सगाई हो गई। और रिस्ता पक्का हो गया। सगाई के बाद शादी की तिथि तय होगई। जो की अगले महीने थी मेरे ड्रामे से पहले। मै बहुत खुश थी। रोहन को मै बहुत पसंद थी। जल्द ही हमारी शादी होने वाली थी। रोहन ने मुझे अपने कुछ दोस्तो से भी मिलवाया जिन से मैंने नमस्ते की। हम फ़ोन पर भी बाते करते थे। जल्द ही हमारी शादी का समय आगया। रेनू जी ने मुझे बहुत कुछ बताय की एक पत्नी को क्या क्या करना चाइये। सुहाग रात को क्या होता है। वो सुब बताया। देवेंदर जी ने और रेनू जी ने मेरा कन्यादान किया। और मैं अब अपने सुसराल पहुंच गई अपने जीवन साथी के साथ। सुसराल की कहानी बहुत ही रोमांस से भरी हुई है। साथ में जीवन साथी के साथ जीने का जो आनंद है वो शब्दों में बया नहीं किया जा सकता। सुसराल पहुंच कर सभी मुंहदिखाई की रस्मे और फिर कंगना खोलने की रस्मे सैंटा सांटी खेल ने की रस्मे पूरी हुई। मैं काफी थक गई थी। फिर अगले दिन विदाई फेरे की रस्म हुई जिस में दुल्हन अपने माँ के घर जा कर वापिस आती है। मैं पग फेरे के बाद वापिस अपनी सुसराल आगई। नई दुल्हन थी मैं मेरी सासु जी बहुत खुश थी की रोहन की शादी हो गई। वो भी अपनी पसंद की लड़की से। हमारा अलग से कमरा था। ये देखा जाए थो मेरी पहली रात थी। मेरे पति रोहन के साथ जिसे सुहागरात कहते है। सुहागरात वाले दिन मैने लांघा चोली पहना हुआ था महरूम कलर का। मैं काफी घबराई हुई थी। मेरी सासु जी ने मेरी हिम्मत बढ़ाई खैर मै घबराते हुए रूम मे गई और बिस्तर पर बैठ गई। कमरा काफी सजा हुआ था। हर तरफ गुलाब ही गुलाब जो की मुझ को काफी मदहोश कर रहे थे। मैं रोहन के इंतिजार मे बैठी थी। कुछ देर बाद वो भी आगये। क्यों की ये हमारी पहली रात थी तो रोहन को मुझे मुहदिकाई मे कुछ देना था। ये दुल्हन का हक़ होता है और ये रसम भी होती है की दूल्हा दुल्हन को मुंहदिखाई मे कुछ देता है। रोहन मेरे लिए एक सोने की अंगूठी लाया और मुझे पहना दी। बाद मे मैने उन को दूध का गिलास दिया जिस में केसर बादाम मिला हुआ था। उन्होने मेरा घुंगट उठाया और kiss किया काफी रोमांटिक बाते की साथ मे मेरे कपड़े भी बारी बारी उतारे। फिर अपने उतरे। फिर हम दोनों एअक दूसरे मे खोगए। उन्होने मुझे सारी रात नहीं सोने दिया। मेरी सुहाग रात के बाद अगली सुब्हा मैं जल्दी उठी और किचन मे गई और सब के लिए चाय बनाई सब से पहले सासु माँ जी को चाय दी फिर अपनी ननद को जो कवारी थी। जब मैं चाय ले कर अपने कमरे मे पहुंची तो वो ८ बजे तक वो सो रहे थे। मैने उन्हे जगाने की कोशिश की तो उन्होने मेरा हाथ पकड़लिया बोले जानू इतनी भी कया जल्दी है। मैने कहा जनाब ८ बजगए है उठो। वो बहुत हे रोमांटिक मूड मे बोले की अब सुहाग दिन होजाये। मैने कहा कुछ थो शर्म करो घर में सुब रिश्ते दार है। वो बोले की शादी कर के लाये है भगा कर नहीं। मुझे बिस्तर पर खींच लिया। ये मेरी ननद देख रही थी बोली भाई जो भी करना है बाद मे करना अभी भाभी मेरे साथ नीचे जा रही है। मेरी सहेलिया मिलना चाहती है भाभी से। मेरी ननद मुझे वह से ले गई। नीचे सासु माँ जी और मेरी ननद की सहेलीया थी। जिन से मेरी बहुत बात हुई। मुझे पता चला की मेरी सासु माँ का नाम आरती है। और ननद का नाम सुलोचना है।आरती जी से मैने पूछा की सासूमाँ जी मेरा स्टेज शो है। मैने उस मे भाग लिया हुआ है थो उन्होने मुझे आज्ञा दे दी की मै उस में भाग ले सकती हूँ। जल्द ही हमारे शो का समय भी आगया। मुझे रेडी करने में मेरी ननद ने मेरी सहयता की। रोहन ने मुझे बहुत सपोर्ट किया और खूब प्यार किया। हमारा स्टेज शो कामयाब रहा साथ में मुझे बेस्ट एक्ट्रेस का अवार्ड भी मिला। रेनू जी ने मेरी तारीफ की। अब मैं एक बेटी और एक बहू थी। दो घरो की इज्जत थी। दोनों परिवार मुझे बहुत प्यार करते थे। मैने आरती जी यानि अपनी सासु माँ जी से कहाँ की अब सुलोचना की शादी के बारे में सोचिये। उन्होंने हां करदी बोली विद्या तेरी नजर में कोई लड़का है तो बता। मेरी नजर में एक लड़का था सतीश वो सरकारी नौकरी पर था। उन के घर वालो से मिलकर हमने सुलोचना और सतीश की सगाई कर दी। जल्द ही सुलोचना की भी शादी होने वाली थी। वो काफी खुश भी थी थोड़ी घबराई हुई भी थी। इस परिस्तिथि में मै उस की सब से नजदीक थी क्यों की एअक भाभी अपनी ननद की मन की बात समझती है। सुलोचना और सतीश की मै फ़ोन पर बात करवाती कभी कभी मेरे साथ जब सुलोचना बाहर जाती तो मैं उन दोनों की मुलाकात करवाती। जल्द ही सुलोचना का शादी का दिन आगया और वो पराई हो गई। मैं उस की विदाई मे खूब रोइ भी। कभी कभी मुझे उस की याद आती है। उस के जाने के जाने के बाद घर की जिम्मेदारी मुझ पर और आरती जी पर आगई। सब्जी लाना घर का काम मैं करती रोहन ऑफिस जाते और माँ जी अपने सत्संग में। समय सही चल रहा था। कि आरती जी ने मुझसे कहा देखो विद्या मुझे अब एक बच्चा चाइये इस घर के लिए जो मेरे जीने का सहारा हो और दुनिया का मुँह बंद होजाये। लोग तुम्हे बांज न कहे। ये बात मेने रोहन को बताई तो वो बोले की ठीक है हम एक बच्चा गोद ले ले गे। उस के लिए मैंने और रोहन ने अनाथ आश्रम गए और वह की फॉर्मेलिटी पुरी करी। और एक नवजात बच्ची को गोद ले लिया। मैं अब एक बच्चे की माँ थी। लकिन मेरे सतन में दूध नहीं था तो डॉ से मिलकर मुझे हिप्रोटॉक्सिन के इंजेक्शन लगाए गए जिस से मेरे सतनो में दूध आगया। मैं अब अपनी बच्ची को दूध पिलाती और एक माँ होने की सुखद अनुभित प्राप्तः करती। उधर सुलोचना के सुसराल से भी ख़बर आई के वो भी माँ बनने वाली है। ये एक अच्छी खबर थी। हमने छुछक की तैयारी शरू कर दी। अब सुलोचना के सुसराल की कहानी अगले भाग मे।
सुलोचना और सुनील बहुत खुश थे। वो माँ बाप जो बनने वाले थे। ये ख़ुशख़बरी मुझे सुलोचना की सास ने दी। हमने छुछक की तैयारी शरू करदी बच्चे के लिए पालना खिलोने नए कपड़े पंडित जी के कपड़े सुलोचना की सास के कपड़े सुनील के कपड़े और सोने की अंगूठी और घडी सुलोचना के कान के बाले और गले क लिए सुलोचना के लिए और सुलोचना की सास के लिए हार आदि। जल्द ही सुलोचना माँ बन गई। उसने एक बेटी को जन्म दिया। मेरी सासु माँ और रोहन अस्पताल मे थे मैं घर पर अपने बेटी के साथ फंक्शन की तैयारी कर रही थी। हम वहाँ शषठी पूर्ति पर पहुंचे काफी एंजोये किया। फंक्शन मे बहुत बात हुई। काफी प्रोग्राम थे रेणुजी जो की मेरी माँ और देवेंदर जी मेरे पिता की हैसियत से वह मौजूद थे। २ दिन बाद हम घर आगये। घर पहुंचे तो पता लगा की मेरे एग्जाम मे २ हफ्ते ही है। मैं पढाई में लग गई। इधर रोहन को काम से बाहर जाना पड़ा। बाद में पता चला की उस का बाहर भी किसी लड़की से अफयेर था। जिस कारण मैने उस से अलग हो गई और अपनी बेटी को उस की दादी को सोप दिया। आज मेरी बेटी 12th मे है और काफी खुश है इन बातो को काफी समय होगया पर मै आज भी अपनी बेटी को याद करती हूँ।
समापत
boy to mother
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Part 1
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